Words though rise to the lips yet expression wouldn't dart
O! is is bright color of blood in my heart or is it flowering
Or the warmth and complexion of her therein might cling
Appeared to be stone hearted she yet kind in reality
It is not possible that to me she may ever deny mercy
Never utter your longings o! lover avoid till,
The moment her infatuation attains youthful thrill
I search in love possibilities and she is outspoken
She wishes as well ,may not go in vain my emotion
She is at last drowned in the waves of love sentiment
Now strange she desires that river may remain still,innocent
We will believe that she has developed faith in her only when
She shall not need any guard on her doorstep,surely then
Senseless is that nearness and that merriment of union
Unless she is not annexed to the spirit and becomes one
Now I begin to have fondness for sun and its heat
Need therefore not any shelter as repose of any sheet
The loved one can not tell what is he goal and aim
When she is not ready for any risky test in love game
Hail! she circles round my neck her delicate arms
May not hidden in this faith doubt which alarms
Translation above;
जज़्बात पर रकम जो तेरी दास्ताँ न हो,
अल्फाज़ लब पे आयें मगर कुछ बयां न हो.
अल्फाज़ लब पे आयें मगर कुछ बयां न हो.
खूं है कि दिल में रंग है फसले बहार का,
देखें कहीं ये उसका रूखे गुल्फिशां न हो.
देखें कहीं ये उसका रूखे गुल्फिशां न हो.
रहमत है उसकी अस्ल लगे लाख संग दिल,
मुमकिन कहाँ की यार मेरा महरबाँ न हो.
मुमकिन कहाँ की यार मेरा महरबाँ न हो.
उस वक़्त तक बयां न करो मुद्दा-आ-ए-दिल,
जब तक के उसके दिल में मोहब्बत जवाँ न हो.
जब तक के उसके दिल में मोहब्बत जवाँ न हो.
इम्काँ की मै तलाश में हूँ वो है साफ़गो,
मेहनत वो चाहता है मेरी रायगां न हो.
मेहनत वो चाहता है मेरी रायगां न हो.
मौजों में जज्बे शौक़ की गरकाब वो हुआ,
वो चाहता था इश्क का दरिया रवाँ न हो.
वो चाहता था इश्क का दरिया रवाँ न हो.
समझेंगे उसको हो गया अब खुद पे कुछ यकीं,
जिस दिन के उसके दर में कोई पासबां न हो.
जिस दिन के उसके दर में कोई पासबां न हो.
क्या लुत्फ़ कुर्बतों का वो कैसा निशाते वस्ल,
कुछ भी नहीं है गर कोई पैवस्त-ए-जाँ न हो.
कुछ भी नहीं है गर कोई पैवस्त-ए-जाँ न हो.
सूरज से इश्क और तमाज़त से प्यार है,
अब दरमियाँ में अपने कोई साएबाँ न हो.
अब दरमियाँ में अपने कोई साएबाँ न हो.
मकसद वो ज़िन्दगी का बताएगा क्या भला,
जो चाहता हो उसका कोई इम्तिहाँ न हो.
जो चाहता हो उसका कोई इम्तिहाँ न हो.
बाहें वो डालता है गले में मेरे 'सुहैल',
डरता हूँ इस यकीन में पिन्हाँ गुमाँ न हो.
डरता हूँ इस यकीन में पिन्हाँ गुमाँ न हो.
रकम- लिखा होना, लब- होंठ, रूखे गुल्फिशां- फूल बिखराने वाला चेहरा, रहमत- दया, संग दिल- पत्थर दिल, मुद्दाए दिल- दिल का मतलब, इम्काँ- सम्भावना, साफ़गो- स्पष्ट वादी, रायगाँ- व्यर्थ होना, जज़्बे शौक़- प्रेम का उत्साह, गरकाब- डूबना, रवाँ- बहना, तमाज़त- तेज़ गर्मी, साएबाँ- छाया, मकसद- उद्देश्य, कुर्बत- समीपता, निशाते वस्ल- मिलन का हर्ष, पैवस्त- सम्माहित होना, पिन्हाँ- छिपा होना, गुमाँ- शक.
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