MOTHER

Mother

Thou art light of heart-

Radiance of soul 

That which has become perpetual in me

Is the pleasure of thy  embrace-

All noble men taught to world thy reverence-

We possess the most precious-

Is nothing but thy joy-

The paradise is beneath thy feet-

Is a quote to highlight thy greatness-

Nature has assigned the work of creation to thee-

The process with which thou traverse to discharge thy assignment

Is agonizing yet decorates thy identity

And thou art beauty of life-

That grace of service which thy offspring renders becomes worship-

Upon which thou bloom with cheer-

In the day thou art sun-

In the night thou art moon-

Thou bestowed upon us consciousness-

By virtue of which we discriminate between good and bad-

Thy blessings would block the way of grief-

Which can not dare to touch us-

Let there be transitions around-

But thou would never change-

Thou scatter love incessantly-

Thy generosity stands as example-

Thy agony cannot be defined-

Then when I’m hurt-

Which quenches my thirst to satiety-

Thou art that pious river-

Learning can only be useful-

When thou become a guide to mind-

I cannot forget my restless nights-

I will remember always thy sleeplessness too-

My heart reposes in peace-

with the effect of freshness thy being transfers

TRANSLATION AS ABOVE

ग़ज़ल__माँ__(स्व० सादिका खातून के नाम)

November 5, 2011 at 9:10am
 हमारे दिल में तू है रौशनी माँ,
हमारी रूह की ताबिंदगी माँ.

जो मुझमे हो गयी है दायमी माँ,
वो फरहत है तेरे आगोश की माँ.

तेरी ताज़ीम का आलम को दें दर्स,
वो चाहे हों नबी या हों वली माँ.

हमारी ज़िन्दगी में बेश कीमत,
अगर कुछ है तो है तेरी हँसी माँ.

तेरे क़दमों के नीचे कह के जन्नत,
ज़माने ने बड़ाई तुझको दी माँ.

तुझे सौपा गया है कार-ए-तखलीक,
तुझी से है बहार ज़िन्दगी माँ.

वही तो हुस्न-ए-खिदमत है इबादत,
जिसे महसूस करके खिल उठी माँ.

दिनों में तेरा चेहरा जैसे सूरज,
तो फिर रातों में तू है चांदनी माँ.

समझ लेते हैं अच्छा क्या बुरा क्या,
तुझी ने दी है हमको आगही माँ.

 मुझे ग़म छू नहीं सकते यकीं है,
दुआ मुझको जो तेरी लग गयी माँ.

ज़माना लाख बदले कुछ भी होवे,
नहीं बदलेगी जो वो इक तू ही माँ.

लुटाती है मोहबात बेतहाशा,
मिसाली है तेरी दरिया दिली माँ.

तेरे दिल की तड़प का क्या बयां हो,
जो मुझको चोट थोड़ी सी लगी माँ.

मुझे हैं याद बेचैनी की रातें,
मुझे है याद अपनी जगती माँ.

वजूद अपना हुआ सैराब जिससे,
तू ही तो है वो पाकीज़ा नदी माँ.

 किताबें लाख कोई कितनी पढ़ ले,
मगर दरकार तेरी रहबरी माँ.

'सुहैल' उससे है ठंडक दिल में अपने,
जो देती है हमेशा ताज़गी माँ.
_______________________सुहैल काकोरवी

 ताबिंदगी= चमक,  दायमी- सदा के लिए, ताजीम= सम्मान, दर्स= पाठ, तखलीक= निर्माण, कार= काम, हुस्न-ए-खिदमत= सेवा का सौंदर्य, आगही= चेतना, दरिया दिली= कृपा धार,


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