To and Fro

Thy love would lead me to the scaffold
My life waits for an attack from thee bold
To sacrifice life is indication of love's sensibility
This path goes directly to beloved from me
In that journey thorns pricked the feet of determination
From curiosity to see beauty and find its destination
The wall fell upon me and hot rays made fun
When after so many efforts got shade one
There was manifestation of self  there and none
Apart from that I found nothing beyond horizon
If thou desire to find grace,must enjoy sight
See the movement of lips and the cheeks bright
Changed so many facets and tested me that way
Then I got the meaning of "possessor of insight" okay 
He is an stoic and he knows secrets of  things
Therefore he embraces even the thorn that stings
If I burn in the lightening latent therein I will be happy
For I like the soft heat in the of expression of thee
Thy eyes are the essence of all  love's tales 
From sleeping grace to awakened beauty time hails
Translation above;

तेरी उल्फत ही मुझे ले जाएगी अब दार तक 
जान मेरी मुन्तजिर है बस तेरे ही वार तक 

 शौके जांबाजी शऊरे इश्क की तकमील है 
रास्ता ये जा रहा है मुझसे होकर यार तक 

इस सफ़र में अज्म के पांव में सौ कांटे चुभे 
देखने की जुस्तजू से राहते दीदार तक 

गर्म किरने हंस पड़ीं मुझ पर गिरी दीवार भी 
सौ जतन से जब मै पहुंचा साया-ए-दीवार तक 

अपनी हस्ती के मआनी की वहां तफसील थी 
और हमने कुछ न देखा आस्मां के पार तक 

दिलरुबाई को समझना है तो बस नज्ज़ारा कर 
देख उन होठों की जुम्बिश और उस रुखसार तक 

सूरतें कितनी बदल कर इम्तिहाँ उसने लिए 
तब कहीं पहुंचा मै मफहूमे उलिल अबसार तक 

वो क़लन्दर है उसे राज़ ए चमन मालूम है,
वो तो सीने से लगा लेता है देखो खार तक।  

इसमें पिन्हा बर्क से जल जाएँ तो अच्छा रहे 
हमको अच्छी लग रही है गर्मी-ए-गुफ्तार तक 

सारे अफ्सानो का हासिल उसकी आँखें हैं सुहैल 
हुस्न-ए-ख्वाबीदा से लेकर फितना-ए-बेदार तक 

________Suhail Kakorvi_______
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दार- फांसी देने की जगह, जांबाजी- जान की बाज़ी लगाना, शऊरे इश्क- प्रेम की समझ, तकमील- पूर्णता, अज्म- इरादा, जुस्तजू- कोशिश, तफसील- विस्तार, जुम्बिश- कम्पन, रुखसार- गाल, मफहूमे उलिल अबसार- कुरान में समझदार लोगों को इसी शब्द से संबोधित किया गया है, पिन्हा- छिपा हुआ, बर्क- बिजली, गर्मी-ए-गुफ्तार- बातों की गर्मी,  हुस्न-ए-ख्वाबीदा- सोता हुआ सौंदर्य, फितना-ए-बेदार- जागता हुआ आतंक..

To and Fro Rating: 4.5 Diposkan Oleh: importancenews

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