Say Again---
For you expressed that which touches climax of love
Sounds resonant , pours honey in soul, nay above--Say again
In utter awe I forgot whether it was acceptance or denial
The second sentence of your version my sense's trial--Say again
You have said something delightful but surprising
What! you are very faithful, doubts are rising----Say again
only then the slaying of my desires would be clear
without promise you say to pay ransom of them my dear--Say again
What a tale you told very unfamiliar but sweet
What you tasted so sugar quoted,I greet----Say again
It was I who kept burning in the amorous fire
Those sparks inflict you as well,I perspire---Say again
We would mention what pleasure drinking give
You also enjoyed the same long you live--Say again
It is doomsday and all witnesses appear and available here
You stated previously hidden, should be open without fear--Say again
You had fixed meeting remember on an special occasion
So if still courage remains in you ,master of frolic and fun--Say again
Actually annihilation of self in love is the beauty of life
Oh!Sensitive of pains,its apt a quote, inspires strife--Say again
What narration it was about lovely locks and cheek
Oh! Morning breeze keep telling it has light's streak--Say again
What lesson would you get from a nurturer of affection
strange you are so long expressing believe none--Say again
फिर से कहो:
इश्क़ की करदी है तुमने इन्तिहा फिर से कहो
जो कहा तुमने बहोत अच्छा लगा फिर से कहो
याद अब हमको नहीं इंकार या इक़रार था
अपना वो जुमला कि जो था दूसरा फिर से कहो
बात कैसी कह गए लेकिन तुम्हारी बात है
क्या कहा तुम हो बहोत ही बावफा फिर से कहो
ताकि क़त्ले आरज़ू का हमको हो जाये यक़ीं
तुम अदा कर दोगे इसका खू बहा फिर से कहो
लफ्ज़ मीठे बोल कर क़िस्सा सुनाया कौन सा
कौन सा चक्खा है तुमने ज़ायक़ा फिर से कहो
आतशे सोज़े मोहब्बत से तो मैं जलता रहा
इसको सुन कर दिल तुम्हारा क्यों जला फिर से कहो
ज़िक्रे मय से पाएंगे हम अब नया कैफो सुरूर
तुमको पीने से जो आया है मज़ा फिर से कहो
आज रोज़े हश्र है सारे इकट्ठा हैं गवाह
कल जो छिप कर कह दिया था बरमला फिर से कहो
ज़िन्दगी बर्बाद होना भी है हुस्ने ज़िन्दगी
बात ये भी खूब है जाने वफ़ा फिर से कहो
जो सुनाई थी कहानी ज़ुल्फ़ और रुखसार की
बादे सुब्हे दिलकुशा वो माजरा फिर से कहो
क्या सबक लोगे सुहैल-ऐ -इश्क़ परवर से भला
बात कैसी कह रहे हो दिलरुबा फिर से कहो
इन्तिहा=चरम ,जुमला =वाक्य , खू बहा=हर्जाना , आतशे सोज़े मोहब्बत =प्रेम की आग ,ज़िक्रे मय =शराब का उल्लेख ,कैफो सुरूर =नशे का आनंद ,रोज़े हश्र =प्रलय ,बरमला =खुल कर कहना ,ज़ुल्फ़ और रुखसार=गाल और केश ,बादे सुब्हे दिलकुशा=सुबह की दिल खोलने वाली हवा ,सुहैल-ऐ -इश्क़ परवर =इश्क़ को पालने वाला स्वयं कवि
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