Wonderful
Chandrashekhar working in an Advocate’s chamber
One room insufficient, two are in possession there
Tarun Prakash over and above all here before sight
Advocate he is and imposed here law of light
Chandrashekhar jumps from one room to another for nothing
Starts talk to clients in one wing, completes in other wing,
There where the very client is never present
Not aware what he continued and meant
That day just to relax put off his shoes
Visitors knew not the the shoes were whose
He totally forgot about those feet protectors
He went downstairs in a shop of parts of tractors
Rais- shop owner respectfully gave warm welcome
Saw him barefooted but no one knows why kept mum
He started his motorbike proceeded then forward
Shop owner must have enjoyed what funny happened
The fun had started no one knows when it will end
In court someone manifest that he was barefooted
Ashamed, perplexed he could not further tread
He has no option to step into some other’s shoe
He glanced around helplessly , in him panic grew
Phoned then to the office where all burst into laughter
Everyone realized the condition of poor chandrashekhar
Tauseef ,Meraj, Arshad Ajay, Arun enjoyed situation
Imagined Tarun ji as well,barefooted man in tension
Would to court carry these shoes little Arun
Decision will finally be taken by revered Tarun
The lonely unfriended shoes are still laying under table
All what happened was wonderful simply wonderful
नंगेपैर
चन्द्रशेखर जी बहोत दिलचस्प से इंसान है
हाँ मगर अक्सर वो अपने आप से अनजान हैं
शायरी में खूब हैं अपने तरुण जी बेमिसाल
और वकालत में दिखाते हैं उसी सूरत कमाल
चैम्बर उनका मोहब्बत का है इक रंगीं चमन
ज़ेहन खुलता है वहां जाओ तो खिल जाता है मन
हैं तो दो कमरे मगर पड़ती है कम ये भी जगह
भीड़ जब बढ़ती है तो लगती है ये छोटी जगह
चंद्रशेखर कर्म के इस छेत्र का इक अंग हैं
और उनकी ज़िन्दगी के कुछ निराले ढंग हैं
गर्मियों में पैर नंगे घूमने लगते हैं वह
यूँही इक से दुसरे कमरे चले जाते हैं वह
हाँ मगर उसदिन तो हद्द ही हो गयी इस हाल की
फाइलें लेकर कचेहरी चल दिए जल्दी जो थी
उनकी निष्ठां का भला लाएगा क्या कोई जवाब
जिससे कर लेते हैं अक्सर अपनी हालत वो खराब
बात करने को रुके नीचे मिले उनको रईस
जो कि उनके मोनिसो हमदम थे और उनके अनीस
उनको नंगे पैर देखा हंस दिए पर चुप रहे
ये रईस उस वक़्त छोटी सी शरारत कर गए
काम निपटाये कई अपने से थे वो बेखबर
एक साथी की नज़र आखिर पड़ी जब पैर पर
उसने बतलाया कि नंगेपैर है वो बे गुमाँ
चंद्रशेखर जी का चेहरा हो गया इसपर धुआं
फ़ोन ऑफिस जब किया तौसीफो अरशद हंस दिए
और अजय मेराज अर्पित हाल से बेहाल थे
अब वो जूते क्या कचेहरी ले के जायेगा अरुण
फैसला इसका करेंगे ये तो क्लियर है तरुण
मेज़ के नीचे अकेले उनके जूते हैं पड़े
क्या कहा जाये कि सब चक्कर हैं ये तक़दीर के
-----------------------------------------------------सुहैल काकोरवी
मोनिसो हमदम =परम मित्र ,अनीस =घनिष्ट मित्र ,बेग़ुमाँ=बेशक
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अरशद ,अजय ,अरुण ,अर्पित ,तौसीफ ,मेराज =तरुण जी के सहयोगी चंद्रशेखर सहित
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