Signs of wounds
Her house is there on a circus
And there my heart and head in fuss
In winter boiled eggs  I enjoy
In summer sweet curd supplies a boy
My longing is only to see her
Pretences  movement in market were
My brother
desliked my affair
"Odu' he named me in dejection sheer
My intention looked very sharp and agile
Lovers were terrorized of my style
I wrote my tale upto this only point
Then my father beat me, broke joint
All vicious plans are of my brother
Signs of wounds on my face usher

Choton Ke Nishan - Poem by Suhail Kakorvi

अपने एक दोस्त की हालत पर - (मिज़ाहिया)
मेरी शब्बो का चौराहे पे घर है
वही पर मेरा दिल है मेरा सर है।
वहां जाड़े में मिल जाते हैं अंडे,
वही गर्मी में लस्सी के हैं जलवे।
तमन्ना है मेरी शब्बो का दीदार,
बहाना सिर्फ है ये सैर ए बाजार।
हमारे प्रेम से भाई खफा है,
वो मुझको जल के ओडू कह रहा है।
इरादे मेरे तीखे लग रहे थे,
मोहब्बत करने वाले धौंस में थे।
यहाँ तक मैंने बस लिखा था किस्सा,
मेरे पापा ने मुझको खूब मारा।
मेरे भाई की कारस्तानियां हैं,
मेरे चेहरे पे चोटों के निशाँ हैं।
- सुहैल काकोरवी
Suhail Kakorvi
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