Oh!God
what miracle, evening though passed- Oh!God
Yet shines bright sun on balcony how- Oh!God
Heart made us restless hearing that
Played Krishna flute so resonant- Oh! God
Holding my hands publicly in mirth
The masculine beauty might defame my femininity-Oh! God
Many colored waves of my beloved is at best
Afraid all love afflict eds break of wine cup_Oh!God
Sweet cruel has killed all belong to universe of love
But see charged me instead of the offence-Oh! God
That is the reflection of bold vivacity of sweetheart
But fearless is that amorous message-Oh! God
The lovely blooming buds flash news with soft cracking
Hail! I that happy tiding of beloved's arrival-Oh!God
Original Ghazal;
(इस ग़ज़ल में रदीफ़ के मआनी के भाव बदले महसूस होते हैं जो हर रदीफ़ के सामने लिख दिए गए हैं)
ये क्या हुआ कि बीत गयी शाम हाय राम, (करुणा)
सूरज चमक रहा है सरे बाम हाय राम. (आश्चर्य)
दिल ने तड़प के आज तो बेताब कर दिया,
बंसी मधुर बजाई है क्या श्याम हाय राम. (उल्लास)
मस्ती में मेरा हाथ सरे बज़्म थाम कर,
सजन ने मुझको कर दिया बदनाम हाय राम. (लज्जा)
सरशार हो गया है वो आया है रंग पर,
छलका के तोड़ देगा वो अब जाम हाय राम. (आशंका)
आलम को क़त्ल उसने शरारत में कर दिया,
मुझ पर लगा दिया है वो इलज़ाम हाय राम. (ध्रिष्ट्ता)
माना कि उसकी शोखिये फितरत का अक्स है,
बेबाक किस कदर है ये पैगाम हाय राम. (प्रेम के साहस पर अचरज)
कलियाँ चटक के कहती हैं हमसे यही 'सुहैल'
आता है तेरा यारे खुश अन्दाम हाय राम. (हर्ष)
____________________________________सुहैल काकोरवी
सरे बाम= कोठे पर, सरे बज़्म= बीच सभा में, शोखिये फितरत= चंचल स्वाभाव, बेबाक= साहसिक, खुश अन्दाम= सुंदर पग रखने वाला.
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